गजब ढाते हो
खुद ही ज़ख्म देके मरहम लगाते हो , मेरी जान क्यूँ मुझ पर गजब ढाते हो , मेरी हालत देख कर जब तुम मु…
खुद ही ज़ख्म देके मरहम लगाते हो , मेरी जान क्यूँ मुझ पर गजब ढाते हो , मेरी हालत देख कर जब तुम मु…
जब भी आते हैं मुझे ख्याल तेरे न जाने क्यूँ मुस्कुराते हैं लब मेरे , सोचता हूँ ये क्या हो रहा है…
वो गहरी अँधेरी रात थी , केवल मेरी तन्हाईयाँ मेरे साथ थी , हम बैठे हुए घूर रहे थे अपने टीवी…
कल बैठा जगजीत सिंह जी कि गायी हुई ग़ज़ल सुन रहा था । ग़ज़ल के बोल दिल को छू गये और मैं इसे काफी बार सु…
चलो महफ़िल जमाते हैं, थोडा हँसते हैं ,इठलाते हैं , चलो महफ़िल जमाते हैं, दिन भर की थकान को…
कभी कभी जब हम अप्रत्याशित तरीके से किसी से रूबरू होते हैं तो उस मुलाकात का अपना ही मज़ा होता है …
य म्यारी पहलि पोस्ट च इलेयी मि ये म केवल अपण विषय म आप लोगों ते बतौण चौंहदु छौं। मेरु नों विकास न…