रोग बनकर रह गया , प्यार तेरे शहर दा- शिव कुमार बटालवी, जगजीत सिंह
कल बैठा जगजीत सिंह जी कि गायी हुई ग़ज़ल सुन रहा था । ग़ज़ल के बोल दिल को छू गये और मैं इसे काफी बार सु…
कल बैठा जगजीत सिंह जी कि गायी हुई ग़ज़ल सुन रहा था । ग़ज़ल के बोल दिल को छू गये और मैं इसे काफी बार सु…
चलो महफ़िल जमाते हैं, थोडा हँसते हैं ,इठलाते हैं , चलो महफ़िल जमाते हैं, दिन भर की थकान को…