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गजब ढाते हो

खुद ही ज़ख्म देके मरहम लगाते हो , मेरी जान क्यूँ मुझ पर गजब ढाते हो , मेरी हालत देख कर जब तुम मु…

ख्याल और मुस्कराहट

जब भी आते हैं मुझे ख्याल तेरे न जाने क्यूँ मुस्कुराते हैं लब मेरे , सोचता हूँ ये क्या हो रहा है…

अँधेरी रात | हिंदी कविता | विकास नैनवाल 'अंजान'

वो गहरी अँधेरी रात थी , केवल मेरी तन्हाईयाँ मेरे साथ थी , हम बैठे हुए घूर रहे थे अपने टीवी…

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